उ0प्र0 रेरा में परियोजना का पंजीकरण: रेरा अधिनियम 2016 के अंतर्गत उ0प्र0 भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण मुख्यतः प्रदेश में रियल एस्टेट छेत्र के विकास के उद्देश्य हेतु प्रोमोटर्स और उपभोक्ताओं के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है। जहाँ एक उनकी भूमिका होमबायर्स के अधिकारों एवं उनके निवेशों को सुरक्षित रखने हेतु विस्तृत है, वहीं दूसरी ओर उन्हें प्रोमोटर्स के लिए भी परियोजना के विकास तथा परियोजना बुकिंग, विक्रय इत्यादि का प्लेटफॉर्म सरल तरीके से उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है। रियल एस्टेट सेक्टर की प्रदेश की अर्थव्यवस्था में विशिष्ठ स्थान है और इस प्रकार रियल एस्टेट सेक्टर एवं प्रदेश की अर्थव्यवस्था के विकास में प्रोमोटर्स तथा विकासकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।
यहाँ यह बताना आवश्यक हो जाता है कि कई बार प्रोमोटर्स उ0प्र0 रेरा में अपनी परियोजना का पंजीकरण कराते समय कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान नहीं रखते जिससे उनका आवेदन या तो रद्द हो जाता है या फिर उस पर उ0प्र0 रेरा द्वारा आपत्तियाँ लगाए जाने के कारण पंजीकरण होने में विलंब होता है।
परियोजना का पंजीकरण हेतु प्रस्तुत आवेदन-पत्रों में त्रुटियाँ
उ0प्र0 रेरा के पोर्टल पर परियोजना का पंजीकरण हेतु प्रस्तुत आवेदन-पत्रों में सामान्यतः निम्नलिखित त्रुटियाँ देखने को मिलती है-
- परियोजना की भूमि की रेजिस्ट्री या विक्रय-विलेख (सेल डीड) आदेवन करने वाले प्रमोटर के नाम न होकर किसी अन्य व्यक्ति या फर्म के नाम है और मूल भू-स्वामी को प्रमोटर के रूप में परियोजना में शामिल नहीं किया गया है।
- पंजीयन आवेदन करने वाले प्रमोटर द्वारा किसी अन्य प्रमोटर से एफ0एस0आई0 (FSI) खरीदी गयी है, परन्तु समक्ष प्राधिकारी से परियोजना का मानचित्र अपने नाम से पंजीकृत नहीं कराया गया । जबकि यदि किसी प्रोमोटर द्वारा एफ0एस0आई0 खरीदी गई है तो परियोजना का मानचित्र अपने नाम से स्वीकृत कराना चाहिए।
- पंजीयन आवेदन में अक्सर प्रमोटर्स द्वारा यह त्रुटि की जाती है कि परियोजना का मानचित्र किसी अन्य व्यक्ति या फर्म के नाम का होता है। इस स्थिति में उस व्यक्ति या फर्म को परियोजना का प्रोमोटर बनाया जाना अनिवार्य है।
- प्रोमोटर्स द्वारा सामान्यतः परियोजना संबंधी बैंक खाते उ0प्र0 रेरा की गाइडलाइन्स दिनांक 24.12.2020 के अनुरूप नहीं खोले जाते हैं।
- प्रमोटर द्वारा कंपनी की विगत तीन वर्षीय की आईटीआर एवं अद्वविधिक बैलेंस शीट आवेदन पत्र के साथ संलग्न नहीं की जाती है।
प्रोमोटर्स द्वारा परियोजना का पंजीकरण हेतु प्रस्तुत आवेदन पत्र की उ0प्र0 रेरा द्वारा रेरा अधिनियम तथा उ0प्र0 रेरा नियमावली के अनुसार जांच की जाती है। इस संबंध में यूपी रेरा के पोर्टल पर विस्तृत जानकारी उपलब्ध है। प्रोमोटर्स इस जानकारी के आधार पर अपने आवेदन पत्र को भली प्रकार से पूर्ण करने के उपरांत परियोजना के पंजीयन हेतु आवेदन प्रस्तुत करें। यदि प्रोमोटर्स आवेदन करते समय इन बातों का ध्यान रखेंगे तो समय से परियोजना का पंजीकरण आवेदन पर निर्णय हो सकेगा।